एक गाँव मे एक फ़क़ीर रहता था। उसका एक बच्चा था, भोला भाला एवं बहुत ही चंचल। उम्र उसकी रही होगी यही कोई नौ दस साल की। उसकी प्यारी प्यारी बातें, हँसी-ठिठोली और उसके बुद्धिमानी भरे कामो से पूरा गाँव प्रभावित था। सारा गाँव उसे अपना समझता और फ़क़ीर भी उसे बहुत प्यार करता था। लेकिन एक दिन नियति के क्रूर हाथों ने उस बालक को फ़क़ीर के हाथों से छीन लिया। किसी बीमारी के कारण उस बालक की मौत हो गई। सारे गाँव वाले दुखी और मर्माहत हो गए। पूरा गाँव उस बालक को अंतिम विदाई देने के लिये इकठ्ठा हो गया। लोगो ने देखा कि वह फ़क़ीर अपने पुत्र के शव को एकटक देखे जा रहा है। शव को देखते देखते उसकी आँखें पथरा गई पर उसकी आँखों से आँसू का एक बूंद भी नही निकला। वह फ़क़ीर अचानक हँसने लगा। लोगो को लगा कि वह सदमे के कारण पागल हो गया है।
पूछने पर फ़क़ीर बोला -मैं बहुत दुखी हूँ। यह मेरा एकलौता बेटा था। इसकी माँ बहुत पहले ही हम दोनों को छोड़ कर जा चुकी थी। इसी के साथ मैं बहुत खुश था। अब इसकी मौत से मैं बहुत दुखी हुआ लेकिन तभी मुझे याद आया कि जब यह बच्चा नही था तब भी मैं पूरी तरह से खुश था । जब सालो पहले ये मेरे पास नहीं था तब मैंने कभी इसे याद भी नही किया। अब वह फिर से चला गया है। अब वह फिर से मेरे पास नही है। मैं फिर से पहले वाली स्थिति में आ चुका हूँ। मानो किसी ने मेरा एक सपना पूरा कर दिया हो पिता बनने का। जिसने मुझे दिया उसने मुझसे वापस ले लिया। मैं कौन होता हूँ यह कहने वाला कि उसने अच्छा नही किया।
लोगों ने पूछा कि तुम हँस क्यो रहे थे ? इस पर उस फ़कीर ने कहा- मैं आभार प्रगट कर रहा था उसका जिसने मुझे यह बालक दिया था । मैं आभार प्रगट कर रहा हूँ उस बालक का जो मेरे साथ इतने बर्षो तक रहा, मुझे इतना हँसाया, मुझे इतनी खुशी दी। हम दोनों ने बर्षो तक एक दूसरे की उपस्थिति का आनन्द लिया। उसने जितने भी बर्षो का समय मेरे साथ बिताया, जितनी भी खुशी मुझे दी, मुझे पिता बनने का सौभाग्य दिया इन सब चीजों के लिए मैं उसका आभारी हूँ। जब हम दोनों साथ थे तो बहुत हँसते थे, अब जब वह जा रहा है तो मैं उसे दुखी मन से बिदा क्यो करूँ ? बस मैं उसे हँस कर विदा कर रहा था।
अब आते है इस कहानी के सार संक्षेप पर। जहाँ से भी और जैसे भी खुशी के कुछ पल मिले उसके लिए भगवान का आभार महसूस करें । हाँ, यह उम्मीद कदापि न करे कि कल भी वह खुशी का पल हाजिर रहेगा। बर्तमान में आपके पास खुशी के जो पल उपलब्ध है उसे पूर्णता के साथ जिये। क्या पता कल वह न रहे। सबके प्रति कृतज्ञ रहें और सबके प्रति आभार प्रगट करे फिर वो चाहे आपके मित्र हो या आपके दुश्मन। अच्छे दिनों में जहाँ आपके दोस्तों ने आपकी सहायता की, आपको खुशी दी उसी तरह आपके दुश्मनों ने बुरे दिनों में आपको मजबूत बनाया।
किशोरी रमण
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Bahut hi Sundar....
बहुत सुंदर प्रस्तुति ।