किसी के भावनाओं से खिलवाड़ क्यों करते हो
किसी के चाहतों को शर्मशार क्यों करते हो
दुनियां को तो आशिकों की फिक्र नहीं लेकिन
तुम अपने इश्क की हदें पार क्यों करते हो
अच्छा है खामोश रह कर अपनी जिंदगी जीना आसुओं के सैलाब को अमृत समझ के पीना
जिन्दगी में वक्त ही सबसे बड़ा मरहम होता है
अच्छा है अपने फटे गिरेवान को खुद ही सीना
यहां किसी को यूं तड़पाना अच्छा नहीं होता
किसी के प्यार को आजमाना अच्छा नहीं होता
वो गीत जो किसी यार के आसुओं से सने हो
उसे महफ़िल में गुनगुनाना अच्छा नहीं होता
आओ आज हम अपनी वफ़ा की बात करते हैं
आओ आज हम खुद से ही मुलाकात करते हैं
किसी के दुआओं के भरोसे भला कब तक रहेंगे आओ आज खुदकी दुआओं पर विश्वास करते हैं
किशोरी रमण
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कविता " विश्वास करते हैं "
Updated: May 25, 2023
Very nice.
वाह, बहुत सुंदर।
भावनाओं और जीवन की सच्चाइयों से गर्भित बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
Life time experience expressed in a nice write up.Love your writings.