आओ आज हम सब
प्यार का गीत गाते है
ज़िन्दगी को जीने का
नया फ़लसफ़ा सिखाते हैं
बहुत खिलायें हैं लोगो ने
यहाँ नफ़रतों के फूल
आओ आज मिल कर
शान्तिके कपोत उड़ाते है
अब बस भी करो यारो
ये दुश्मनी और ये झगड़े
आओ हमसब मिल कर
दोस्ती का पाठ पढ़ाते है
जो उजड़ गये हैं अपने
हम सब के गुलिस्तां
उसको अपने प्यार से
अब हरा भरा बनाते हैं
हम दुआ करे कि शांति हो
न आपस मे कभी भ्रांति हो
न जाति धर्म का बंधन हो
इंसानियत का अभिनंदन हो
यहाँ न कोई परेशानी हो
न ही कुरीतियों का घेरा हो
कल एक नया सूरज निकले
और एक नया सवेरा हो
किशोरी रमण
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Very nice.....
बहुत सुंदर कविता।