बेटा ज्यों ज्यों बड़ा होता है
अपने पैरो पर खड़ा होता है
बाप की हिदायतें खलती है
बेटे की शिकायतें बढ़ती है
बेटे की गलतियों पर बाप
कभी उसे डांट भी देता है
पर जब दुख आता है तो
वह दुखों को बांट लेता है
बाप बेटे की ख्वाहिशों को
आंखो में लिए चलता है
वह कष्ट झेलता है फिर भी
चेहरे पर खुशी झलकता है
बाप बेटे की जीत के लिए
अपने सपनो को मारता है
बेटा जीत जाए इसी लिए
अपना सब कुछ हारता है
यह रिश्ता कुछ अजीब है
इसे आप जांच नही सकते
इसे महसूस कर सकते है
यन्त्र से माप नही सकते
बाप प्यार करता है बेटे से
पर वह कभी कहता नही है
जबतक समझ पाता है बेटा
बाप दुनिया में रहता नही है
किशोरी रमण
आप सब खुश रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें
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वाह, सही लिखा है।
सुंदर रचना |