हमारी तो जिन्दगी गुजर जाती है इंतजार में
पर हमे कभी मनचाहा किरदार नही मिलता
शोहरत और दौलत तो हमे मिल भी जाते हैं
पर सच्चा दोस्त और सच्चा प्यार नही मिलता
हमे पता ही नहीं होता और हमारी ख्वाहिशे
बारिश की बूंदों की तरह बरस जाती है
हथेली तो बेशक हमारे भींग जाते हैं मगर
हमारी आत्मा बूंद बूंद को तरस जाती है
हसरतें पाल लेते हैं हम किसी के मुस्कुराने से
बसंत आया मानते हैं फूलोंके खिलखिलाने से
पर अपने दिल की बात कभी सुनते ही नहीं
और नाहक उलझते हैं किसी के उलझाने से
खुद के झूठ से रूबरू होना मैने सिख लिया है
अपने अलग होने के एहसास को खूब जिया हैं
छोड़ आया अपने गुरूर को पिछले चौराहे पर
अब हर हाल में मैंने मुस्कुराना सीख लिया हैं
किशोरी रमण
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Very nice👍
वाह, बहुत सुंदर कविता, हृदयस्पर्शी ।
बहुत सुंदर और मार्मिक रचना
सुंदर किशोरी रमन
डा नागेंद्र बधाई नव