जब हम श्मशान घाट से किसी प्रियजन के क्रिया कर्म के बाद लौटते है तो मन मे मोह -माया के प्रति विरक्ति का भाव जागृत होता है। लगता है इस क्षणभंगुर शरीर के लिये इतना मोह ठीक नही। जब सब कुछ यहीं छोड़कर जाना है तो ये धन दौलत, मान -सम्मान सब बेकार है और इसके लिये इतनी भाग दौड़ , हाय तौबा क्यों ? रात को सोने के पहले हम भगवान का शुक्रिया अदा करते है कि उन्होंने हमारी आँखे खोल दी और जीवन का असली रूप दिखा दिया । ये भी प्रण करते हैं कि आगे से न तो कोई गलत काम करेगें और न ही किसी को दुख पहुचायेंगे।
लेकिन अगली सुबह जब ऑंख खुलती है तो सब कुछ पहले की तरह चलने लगता है । इसी श्मशान बैराग्य पर है आज की कविता जिसका शीर्षक है..... राम नाम सत्य है |
राम नाम सत्य है
जयकारे के साथ
लोगो के कंधों पर
गुजर रहा है एक मुर्दा
लोग घरों से झांक रहे हैं
और दुहरा रहे है
राम नाम सत्य है
दुनिया का यही गत है।
पता नही
राम नाम सत्य है
हम किसको बताते है ?
जो मुर्दा है उसको ?
या फिर
अपने आप को सुनाते है।
पर लोग तो
शमशान घाट से लौटते ही
इसे तमाशा समझ कर भूल जाएंगे
और पहले की ही तरह
राम नाम की चिता जलायेंगे।
सारे बुरे काम करते रहेगें
अपनी तिजोरियों को भरते रहेंगे।
इस सत्य को भुलाते रहेंगे
की आज जो तमाशा हैं
कल हमारा हक़ीक़त होगा।
कल हम भी औरो के कंधों पर गुजरेंगे
और लोग आवाज लगायेंगे
राम नाम सत्य है।
और लोग अपने घरों से झाकेंगे।
किशोरी रमण
BE HAPPY.....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE। If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments.
Please follow the blog on social media. link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
top of page
मेरी रचनाएँ
Search
Recent Posts
See All2 comentários
Post: Blog2_Post
bottom of page
Very nice...
बिरक्ति और आसक्ति यही तो जीवन की भुल भुलाया है।