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Writer's pictureKishori Raman

" रोगी की सेवा परमात्मा की सेवा "


एक बार बौद्ध संघ के एक भिक्षु एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए। उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह चल फिर भी नही सकते थे। इसका परिणाम ये हुआ कि वे अपने मल मूत्र और गंदगी में पड़े रह्ते थे। उसकी ऐसी हालत देख कर उसके साथी भिक्षु भी उसके पास आना छोड़ दिया था। जब गौतम बुद्ध को इस बात की जानकारी हुई तो वे अपने शिष्य आनन्द के साथ बीमार भिक्षु के पास पहुँचे। उसकी दयनीय दशा देख कर उन्हें घोर कष्ट हुआ। उन्होंने बड़े प्यार से उस भिक्षु से पूछा कि तुम्हे कौन सा रोग हुआ है ? वह बीमार भिक्षु बोला- मुझे पेट की बीमारी है। बुद्ध ने उसके सर पर प्रेम से हाथ फेरते हुए कहा- क्या तुम्हारी दिनचर्या में मदद के लिए कोई नही है ? भिक्षु के न कहते ही उन्होंने आनन्द से कहा- जाओ, पहले पानी लेकर आओ। पहले हम इसके शरीर को साफ करेंगे। आनन्द पानी लेकर आये। बुद्ध ने भिक्षु के शरीर पर पानी डाला और आनन्द ने उसके मल मूत्र को साफ किया। अच्छी तरह धो पोछ कर बुद्ध ने भिक्षु के सर को पकड़ा और आनंद ने पैरों को। इस तरह उसे जमीन से उठा कर चारपाई पर लिटा दिया गया। फिर बुद्ध ने सारे भिक्षुओं को वहाँ बुलाया और समझाया। उन्होंने कहा कि यहाँ तुम्हारे माता, पिता या भाई नही हैं जो तुम्हारी सेवा करेंगे। यदि तुम परस्पर एक दूसरे की सेवा और देखभाल नही करोगे तो कौन करेगा ? याद रखो जो रोगी की सेवा करता है वह ईश्वर की सेवा करता है। दीन हीन के प्रति करुणा और सेवा का भाव इस जगत को बुद्ध का सबसे बड़ा संदेश है जो हरेक देश, काल और परिस्थिति में प्रासंगिक है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com


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2 commenti


verma.vkv
verma.vkv
27 dic 2022

बहुत सुंदर और प्रेरणादायक प्रसंग।

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Membro sconosciuto
27 dic 2022

Very nice.

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