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लौट आओ

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Jan 7
  • 1 min read

             

तुम चली गई हमे छोड़ ये भुला नहीं पाता हूं

याद  कर अपना  बचपन मैं आसूँ बहाता हूं

तुम्हारे आँचल के छांव में बीता था मेरा कल

अब तुम्हारे बिना खुद को लावारिस पाता हूं


आपकी ऊंगली पकड़ हमने चलना सीखा था

आपकी ममता  ने  मेरे तन मन को सींचा था

मुसीबतें आई तो आप चट्टान बन  खड़ी रहीं

जब हम रोए तो हमे अपने बाहों में भींचा था


यूँ तो सबकुछ है जिंदगी में,कोई कमी नहीं है

कमी है तो बस इतना कि अब तू पास नहीं है

इस लायक तूने मुझको  बनाया  है मेरी माता

कि  खुद समझ सकूं क्या  गलत क्या सही है


अब किससे हम रूठेगेंअब कौन हमे मनाएगा

जब नींद नहीं आयेगी तो लोरी कौन सुनाएगा

तू  नही  तो कुछ भी नही, अब लौट आओ माँ

इस  बेरहम दुनियां से अब कौन मुझे बचायेगा


किशोरी रमण 


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